चिट्ठाजगत www.blogvani.com

बुधवार, 11 फ़रवरी 2009

तेरा नाम ही मेरा है

यूं ही लिखते लिखते कागज पर
तेरा नाम लिख जाता हूं मैं
फिर सोचता हूं कि,
क्‍यों, आखिर क्‍यों... अब तक
यह नाम मेरे इस कदर करीब है।
कागज पर कलम की नोक से उकेरे
अक्षरों को तेरा चेहरा बनते देखता हूं
फिर, इक ख्‍याल दिल में दस्‍तक देता है
बस यही, यही और यही नाम ही मेरा अपना है
और, बाकी कुछ नहीं
उस नाम को फिर निहारने लगता हूं
फिर, कुछ और लिखने की कोशिश करता हूं
पर, कलम फिर तेरा नाम लिखकर रुक जाती है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. फिर, कुछ और लिखने की कोशिश करता हूं
    पर, कलम फिर तेरा नाम लिखकर रुक जाती है।

    बहुत रूमानी प्रेम अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  2. सब कुछ बेख्याली में....पर एक खूबसूरत ख्याल के लिए....

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं