यूं ही लिखते लिखते कागज पर
तेरा नाम लिख जाता हूं मैं
फिर सोचता हूं कि,
क्यों, आखिर क्यों... अब तक
यह नाम मेरे इस कदर करीब है।
कागज पर कलम की नोक से उकेरे
अक्षरों को तेरा चेहरा बनते देखता हूं
फिर, इक ख्याल दिल में दस्तक देता है
बस यही, यही और यही नाम ही मेरा अपना है
और, बाकी कुछ नहीं
उस नाम को फिर निहारने लगता हूं
फिर, कुछ और लिखने की कोशिश करता हूं
पर, कलम फिर तेरा नाम लिखकर रुक जाती है।
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फिर, कुछ और लिखने की कोशिश करता हूं
जवाब देंहटाएंपर, कलम फिर तेरा नाम लिखकर रुक जाती है।
बहुत रूमानी प्रेम अभिव्यक्ति
बहुत गहरी अभिव्यक्ति लिखी है ....रूमानियत भरी
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
सब कुछ बेख्याली में....पर एक खूबसूरत ख्याल के लिए....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंGood writing......keep it up
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