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गुरुवार, 15 जुलाई 2010

फ्रांस में बुर्के पर बैन : थोपी हुयी आजादी




फ्रांस में बुर्के पर बैन। कोई हक़ में तो कोई खि‍लाफ। कोई इसे मज़हबी मामला कहता है, तो कि‍सी के लि‍ये यह औरतों की आज़ादी का फ़रमान। आखि‍र, औरतों को क्‍या पहनना है और क्‍या नहीं इस बात पर बहस चल पड़ी है। बहस करने वाले कुरान और हदीस के जरि‍ये अपनी बात को साबि‍त करने में लगे हैं।

फ्रांस में सार्वजनि‍क स्‍थान पर बुर्का पहनने पर महि‍लाओं को अब 150 यूरो का जुर्माना भरना पड़ेगा। जुर्माना न भरने की सूरत में उन्‍हें जेल जाना पड़ सकता है। स्‍पेन और बेल्‍जि‍मय में भी इससे मि‍लते-जुलते कानून पहले से हैं। वहीं ब्रि‍टेन भी इस तरह का कानून लाने पर वि‍चार कर रहा है। वहीं फ्रांस में इस मुद्दे के समर्थन में 336 वोट पड़े, जबकि महज एक वोट इसके वि‍पक्ष में गया।

फ्रांस में बुर्के पर बैन लगाने के बाद बहस चल पड़ी है। फ्रांस सरकार के फैसले का एक्‍सरे और ऑपरेशन चल रहा है। एक मौलाना साहब का कहना था कि‍ फ्रांस सरकार का यह फैसला पूरी तरह से गलत है और यह इस्‍लाम की धारणाओं के खि‍लाफ जाता है। वहीं दूसरा पक्ष है, जो बुर्के को औरतों के लि‍ये बंधन और समाज की ओर से उस पर थोपे गये आवरण के तौर पर देख रहा है। उनका मानना है कि सभी औरतें अपनी मर्जी से बुर्का नहीं पहनतीं, बल्‍कि‍ उन पर इसके लि‍ये दबाव बनाया जाता है।

आखि‍र कि‍सी को क्‍या पहनना है इस बात की आजादी उसे होनी चाहि‍ये। इस तरह के फैसले और फ़रमान आखि‍र मर्दों पर क्‍यों नहीं आते। घूंघट हो या बुरखा सारी रि‍वायतें और 'इज्‍़जत' संभालने की जि‍म्‍मेदारी क्‍या सिर्फ औरतों की है और मर्द इस सबसे आजा़द हैं?

इसके बाद बात औरतों की आजादी के साथ ही पश्‍चि‍मी दुनि‍या और एक धर्म वि‍शेष के प्रति‍ उसके रवैये पर आकर खड़ी हो गयी नजर आती है। इससे पहले फ्रांस में सि‍खों के पगड़ी पहनने पर भी बवाल मचा था। इस्‍लाम के प्रति पश्‍चि‍मी समाज में जो नजरि‍या बन रहा है वह कि‍सी भी लि‍हाज से जायज नहीं ठहराया जा सकता है। एक सभ्‍य लोकतंत्र में इस तरह के थोपे जाने वाले फैसलों का समर्थन नहीं कि‍या जा सकता। क्‍या, फ्रांस की सरकार मि‍नी स्‍कर्ट या इसी तरह के कि‍सी कपड़े पर बैन लगाने का फरमान जारी कर सकती है। यदि‍ यह बात महि‍लाओं की स्‍वतंत्रता और मर्जी से जुड़ी है, तो फि‍र भला बुर्के पहनना या न पहनना उनकी मर्जी पर क्‍यों नहीं हो सकता। अभी कुछ दि‍न पहले ही सि‍टी बैंक की कर्मचारी डेबरि‍ला लोरेंजाना को कथि‍त तौर पर अपनी नौकरी से इसलि‍ये हाथ धोना पड़ा था, क्‍योंकि‍ वह बैंक अधि‍कारि‍यों की नजर में वह बहुत ज्‍यादा 'सेक्‍सी' थी और उसे देखकर बैंक के अन्‍य कर्मचारि‍यों का ध्‍यान काम से भटकता था। यहां एक महि‍ला का सुंदर होना ही उसके लि‍ये अभि‍शाप बन गया।

हालांकि‍, फ्रांस की सरकार ने उन पुरुषों पर भी दंड लगाने का प्रावधान कि‍या है जो महि‍लाओं को जबरदस्‍ती बुर्का पहनने के लि‍ये बाध्‍य करते हैं। लेकि‍न, इसका नतीजा भी सकारात्‍मक आने की उम्‍मीद कम ही है। महि‍लायें परि‍वार और देश के नि‍यमों के बीच फंसकर रह जायेंगी। या तो वे घर वालों की बात मानकर बुर्का पहनकर बाहर जायें और कानूनन दंड की भागी बनें या फि‍र सब काम छोड़कर अपने घर पर बैठ जायें। दोनों ही सूरतों में नुकसान उन्‍हें ही भुगतना पड़ेगा।

वहीं एक पक्ष ऐसा भी है जो फ्रांस सरकार के इस फैसले के पीछे सुरक्षा की दलील दे रहा है। कहा जा रहा है कि बुर्के के पीछे कौन छुपा यह पता लगाना बहुत मुश्‍कि‍ल है और जि‍स तरह से आतंकवादी गति‍वि‍धि‍यां बढ़ रही हैं इस लि‍बास का गलत फायदा भी उठाया जा सकता है। इस चिंता से इंकार नहीं कि‍या जा सकता और फ्रांस सरकार की यह चिंता जायज भी लगती है। लेकि‍न, इसके लि‍ये भी रास्‍ता नि‍काला जा सकता था। कानून ऐसा बनाया जा सकता था कि‍ बुर्के या नकाब में जा रही महि‍लाओं की पहचान जानने के लि‍ये कुछ कि‍या जा सके। महि‍लाओं की यह पहचान जानने का हक और काम भी महि‍ला अधि‍कारि‍यों को ही दि‍या जाता। इससे बीच का रास्‍ता नि‍कल जाता और बेकार ही में इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा नहीं होता।

इस तरह के फैसले न केवल समाज में एक वि‍द्रोही वातावरण तैयार करते हैं, बल्‍कि‍ साथ ही उन कट्टरपंथि‍यों को भी ताकत देते हैं, जो मजहब के नाम पर लोगों को भड़काने का काम करते हैं। अति हर चीज की बुरी होती है, दुनि‍या में आजादी और लोकतंत्र के पैरोकार बने यूरोपीय देशों को भी यह बात समझने की जरूरत है।

1 टिप्पणी:

  1. French government's decision to ban burqa may come as a kind of harsh measure towards the Muslim community in general and towards women of Islamic followers in particular however we need to understand why a modern European government contemplated to take such a drastic step.

    People may accuse the French Government of being racist and biased against a particular community.

    However, the entire world is aware of the fact that a few handful of Islamic(who are blunt, orthodox and dangerous) are responsible for tainting the image of their own community.

    These people have done enough damage to the image of their community and as a result other innocent representatives of the Muslim community are bearing the brunt of the mis-deeds of those miscreants.

    I am not supporting the step of the French Government however in these turbulent times we should be ready for such decisions and steps.

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