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मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

एक राष्ट्रीय मुद्दे का अंत!

जि‍न दि‍नों आईपीएल का रोमांच अपने चरम पर था। क्रि‍केट से ज्‍यादा ललि‍त मोदी अखबारों और टीवी चैनलों में सुर्खि‍यां बटोर रहे थे। हर पत्रकार की कोशि‍श मैदान के खेल से ज्‍यादा मोदी के खेल में दि‍लचस्‍पी दि‍खा रहा था। सबको इस बात का इंतजार था कि आखि‍र मोदी की कि‍स्‍मत का ऊंट कि‍स करवट बैठेगा। हर कोई जानने को बेताब था कि आईपीएल क्‍या है - खेल में पैसा या फि‍र पैसे का खेल।

बात तब की है जब थरूर को लेकर कांग्रेस पर हमले हो रहे थे, उन दि‍नों मुझ पर भी हमले हो रहे थे। जब देश के सामने आईपीएल सबसे बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ था, उन दि‍नों यह नाचीज भी एक अलग ही तरह के ‘राष्ट्रीय मुद्दे’ से जूझ रहा था। जी, मेरी जुल्‍फें, लटायें या घटायें जो कुछ आप कहना चाहें एक खबर सरीखी बन गयी थीं। मुद्दा राष्ट्रीय था, राष्ट्रीय इसलि‍ये क्‍योंकि देश भर में बसे मेरे रि‍श्तेदार मुझसे ज्‍यादा मेरे बालों की ओर ध्‍यान देते।

‘क्‍या बात है, बाल क्‍यों बढ़ा रखे हैं।‘ अरे, नाईयों की हड़ताल हो गयी क्‍या ? अमां क्‍यों मजनूं बने हुये हो। इन सवालों को लेकर मुझे ठीक वैसे ही घेरा जाता जैसे संसद में वि‍पक्ष सरकार को घेरा करती है। हर ओर से सवालों के तीर। मैं भी अपनी ओर से इन सवालों से बचने के पूरे प्रयास करता। और जहां तक हो सकता, इन सवालों को टालने का प्रयास करता। यह एक नि‍त्‍य चलने वाली प्रक्रि‍या बन गयीं।

आज के जमाने में जब कुछ भी फ्री नहीं मि‍लता, ऐसे वक्‍त में आपको फ्री की सलाह जरूर मि‍ल जाती है। एक शुभचिंतक ने मेरे प्रति‍ आत्‍मीयता दि‍खाते हुये कहा- ‘बाल कटवा लो, अच्‍छे नहीं लग रहे।‘ दूसरे की बात तो यही थी, मगर लहजा तल्‍ख था- ‘यार पूरा जंगली लग रहा था। इन बालों को छोटा क्‍यों नहीं करवा लेता।‘

मामला धीरे-धीरे इतना गंभीर हो गया कि मुझसे ज्‍यादा प्राथमि‍कता मेरे बालों को मि‍लने लगी। लोगों का मुझसे पहला सवाल , ‘क्‍या हाल हैं कि बजाये, ‘अरे, ये क्‍या बाल हैं’ होने लगा।

कई बार इन सवालों से मुझे जलन की बू भी आने लगी। अपने सि‍र पर उंगलि‍यों पर गि‍नने लायक बाल भी नहीं और यहां हरि‍याली देखकर जी जलता है इनका। उनकी बातें सुनकर मैं मन ही मन हंसता और बालों में हाथ फि‍रा उन्‍हें ‘सेट’ करने लगता।

इस बीच सलाह देने वालों का काम बदस्‍तूर जारी रहा। एक भले मानस का कहना था- लंबे बाल घर में कलेश और लड़ाई की जड़ होते हैं। उनकी यह बात मेरे सि‍र के ऊपर से नि‍कल गयी। आखि‍र मेरे कई सि‍ख दोस्‍त हैं और उनके घर में कलेश जैसी चीज मुझे कम ही नजर आयी। लेकि‍न, उनका यह ‘स्‍नेह’ देखकर मैं उनका वि‍रोध नहीं कर सका।

इस बीच कुछ दोस्‍तों ने लंबे बालों की तारीफ कर मेरी हौसला अफजाई भी की। यार, स्‍मार्ट लग रहा है जैसे इक्‍का-दुक्‍का कमेंट मेरे मन को रोमांचि‍त करने के लि‍ये काफी थे। यह कुछ-कुछ वैसे ही थे, जैसे शि‍ल्‍पा शेट्टी और वि‍जय माल्‍या जैसे शुभचिंतक मोदी ‘हम तुम्‍हारे साथ हैं’ करते नजर आते थे। लेकि‍न, इसके बीच आईपीएल के परवान चढ़ते नशे के साथ-साथ मुझ (माफ कीजि‍येगा, मेरे बालों ) पर हमले तेज होते गये। जि‍स तरह रोज आईपीएल पर एक नया हमला होता, उसी तरह घर के अंदर और बाहर मेरे बालों पर रोज एक नायाब और नया कमेंट मि‍लता। आमतौर पर वह कमेंट मेरी तारीफ में तो नहीं ही होता।

अब तो मुझे भी लगने लगा कि‍ बालों का मुद्दा वाकई में बहुत बड़ा हो गया है। इधर आईपीएल के फाइनल में चेन्‍नई सुपरकिंग्‍स के जीत की खबर अखबारों में छपी और इधर मैंने अपने बालों के इस मुद्दे से अस्‍थायी नि‍जात पाने का फैसला कर लि‍या। मोदी की आईपीएल से वि‍दाई की खबरों के बीच मेरे बालों के एक बड़े हि‍स्‍से की भी मेरे सि‍र से वि‍दाई हो गयी। मेरे इस कदम से वि‍पक्षी खुश हैं और मैं कि‍सी तरह का कमेंट करने की स्‍थि‍ति में नहीं हूं।

2 टिप्‍पणियां:

  1. एक नहीं तीन देश के लिए अति महत्वपूर्ण मुद्दों का अंत हुआ है (सानिया - शोएब की शादी, ललित मोदी, आई पी एल)

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  2. देश और सामाजिक स्थिति का सजीव चित्रण करता हुआ एक विचारणीय रचना के शानदार प्रस्तुती के लिए धन्यवाद / आज देश के सामने सबसे बड़ा सवाल है ईमानदारी से किसी भी समस्या या मामले की जाँच को न्यायसंगत अंत तक कैसे पहुंचाया जाय ? शरीफ और इमानदार हमेशा प्रतारित और अपमानित किये जाते रहे हैं ,लेकिन उन्होंने इसकी परवाह किये वगैर, उन लोगों का भी भला किया और जीवन के राह पर सही से चलना सिखाने का काम किया जिन्होंने उनको अपमानित करने का काम किया था / निश्चय ही आज सरकारी जाँच एजेंसिया जाँच करने में निक्कमी साबित हो रही है, इसलिए आज जाँच का काम देश भर से निडर ,शरीफ और इमानदार समाजसेवकों को चुनकर हर सरकारी खर्चों और घोटालों की जाँच का जिम्मा दिया जाय / तब जाकर कुछ हद तक सुधार हो सकता है / ऐसे ही विचारों के सार्थक प्रयोग ब्लॉग के जरिये करने से ही ब्लॉग को सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित करने में सहायता मिलेगा / हम आपको अपने ब्लॉग पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में ,विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने का भी प्राबधान कर रखा है / पिछले हफ्ते उम्दा विचार व्यक्त करने के लिए अजित गुप्ता जी सम्मानित की गयी हैं /

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