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बुधवार, 14 अप्रैल 2010

क्‍या जरूरी है..

क्‍या जरूरी है हर बात को बताया जाये
बेहतर है कभी कभी चुप भी रहा जाये
जो समझेंगे वो समझ जायेंगे खामोशी भी तुम्हारी
जो न समझें, उन्‍हें भला क्‍यों कुछ समझाया जाये

बातों को बात में उड़ाना भी चाहि‍ये
कभी-कभी कुछ भूल जाना भी चाहि‍ये
जरूरी नहीं हर बात को दि‍ल से लगाया जाये
क्‍या जरूरी है हर बात को बताया जाये

कुछ लम्‍हें जिंदगी से उधार ले लो
जहां से मि‍ल सके थोड़ा सा प्‍यार ले लो
मुश्कि‍ल वक्‍त में खुशी का तराना गुनगुनाया जाये
क्‍या जरूरी है हर बात को बताया जाये

दोस्‍तों की भले ही रोज महफि‍लें जमा लो
जिंदगी में रोज मजे उड़ा लो
पि‍त्‍जे, बर्गर की महक में लेकि‍न, मां की चटनी को न भुलाया जाये
क्‍या जरूरी है हर बात को बताया जाये

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