गुलज़ार साहब से माफ़ी के साथ -
सब रंज ओ शिक़वे भुला दो
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है वो लौटा दो।
अपनी पॉकेटमनी से मैंने तुमको पित्जा खिलाया था
सब दोस्तों से उधार लेकर शॉपिंग हजार करवाया था
उस शॉपिंग के बिल अभी तक मेरे पर्स में दबे पड़े हैं
हो सके तो 'एक्स जानम' मेरे तुम वो बिल चुका दो
सब रंज ओ शिक़वे भुला दो
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है वो लौटा दो।
डैडी की जेब पर मैंने कितनी बार हाथ चलाया
चिल्लड़-विल्लर, नोट-शोट जो भी मेरे हाथ में आया
उन सबसे मैंने तुमको लेकर कितना फ्रूट खिलाया
तुम्हारे गालों की लाली का कुछ तो हिसाब बता दो
सब रंज ओ शिक़वे भुला दो
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है वो लौटा दो।
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