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मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

नेताजी का बर्थडे...


नेताजी का लगा हुआ था बहुत बड़ा कटआउट
क्‍या है यह माजरा सबको था यही डाउट!

सबको ये डाउट विपदा बड़ी विकट है
क्‍यों है यह जमावड़ा, क्‍या संकट है।

पता चला त‍कि नेताजी का आज है बर्थडे
तभी तो हो रखे हैं ये इतने लफड़े।

हाथ जोड़कर नेताजी का ये बुत खड़ा है
ये न कोई दुर्घटना है न कोई झगड़ा है।

इस पावन बेला पर होगा जश्‍न बड़ा
खासमखास को जाएगा खास न्‍योता

नेता बहुत बड़े हैं तो पार्टी भी बड़ी होगी
मीलों-मीलों तक बस कारें खड़ी होंगी।

जश्‍न होगा, उड़ेंगे मुर्गे और दारू बहायेंगे
नेता जी की पार्टी में जो भी नेता आएंगे।

महानुभाव मनाएंगे पार्टी ये महान
ऊंची बनाए रखेंगे अपनी वो शान।

बाहर खड़ी होगी एक मां दुखियारी
भूखी प्‍यासी रहना है जिसकी लाचारी।

तरसायी आंखों से वो नजरें वहां गढ़ाए
जहां बची-खुची चीजें और सब्‍जी फेंकी जाए।

काख में दबाए अपने बालक को
वो कोस रही होगी उस जगपालक को।

काहे दिया इनको इतना जो यूं फेंके हैं
और काहे हम सारा दिन भूखे रहते हैं।

जश्‍न खत्‍म सब अपने घर को लौटे
गुरबत उसमें पेट भरने को अन्‍न खोजे।

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