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गुरुवार, 19 फ़रवरी 2009

तेरे नाम करता चलूं...

गुजरा इधर से सोचा दुआ सलाम करता चलूं
मेरी जिंदगी, कुछ पल तेरे नाम करता चलूं

जो साथ गुजारे थे हमने कभी
उन लम्‍हों की यादें तेरे नाम करता चलूं

वो हंसना-रोना, वो मिलना बिछुड़ना
वो बातें तमाम तेरे नाम करता चलूं

वो दरख्‍तों के साये, वो ऊंचा टीला बुलाए
वो किस्‍से पुराने तेरे नाम करता चलूं

ना जाने फिर कब यहां से गुजरूं मैं
सोचता हूं बस एक काम करता चलूं

गुजरा इधर से सोचा दुआ सलाम करता चलूं
मेरी जिंदगी, कुछ पल तेरे नाम करता चलूं

भारत मल्‍होत्रा

4 टिप्‍पणियां:

  1. वो दरख्‍तों के साये, वो ऊंचा टीला बुलाए
    वो किस्‍से पुराने तेरे नाम करता चलूं

    -बहुत खूब भाई...

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  2. बहुत अच्‍छा सर। बढि़या है, पर सच कहूं तो ऐसा लगता है कि आप प्‍यार में चोट खाए हुए है। खैर वक्‍त हर जख्‍म पर मरहम लगा देता है।

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  3. bahut behter he agar kisi ke apse door hone par app itna behter likhte he to me dua karungi ki vo apko kabhi na mile or aapka likhne ka silsila behter hokar sabko bhavnao ke samundr ki gahrai tak le jaye. maf kijiyega lekin wakai bahut achha likha he aapne.

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