चिट्ठाजगत www.blogvani.com

शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

कभी तू मेरे साथ होगी...

ख़ुदा हाफिज, ऐ दोस्‍त मेरे...
फिर किसी दिन मुलाकात होगी

रू-ब-रू न सही, कोई गम नहीं
ख्‍यालों में तो कोई बात होगी

सपनों के बगीचे में पूछेंगे हाल
यादों के बिस्‍तर पर जब रात होगी

वहीं मिलेंगे चंद पल सकून के हमें
रकीबों को छोड़, तू मेरे साथ होगी

मोहब्‍बत के खिलेंगे फूल, मोहब्‍बत की होगी घटा
साथ भीगेंगे हम तुम, मोहब्‍ब्‍त की बरसात होगी

बस इक अर्ज है, अगर तुम्‍हें कबूल हो
वादा करो... अगले जन्‍म तू मेरे साथ होगी

3 टिप्‍पणियां: