लफ्जों में क्या बयां करूं, मैं लाजवाब हो गया।
जो कहा आपने इतनी खूबसूरती से,
एक शे’र ही पूरी किताब हो गया।
शराब से कर ली हमनें तौबा,
तेरी आंखों से जो एक बार पी ली,
नशा उम्र भर का बेहिसाब हो गया।
तेरे चेहरे को आखिर क्या कहूं मैं,
जिसने देखा एक बार,
वो खुद महताब हो गया।
रौशन था, तेरे साथ मेरा जमाना
तुम जो छोडकर गए,
सब कुछ उजाड हो गया।
यूं ही तन्हा बैठा था, बेमकसद मैं
तेरी याद ने दी दिल पर दस्तक,
दिल मेरा इक खिला हुआ बाग हो गया।
रविवार, 15 मार्च 2009
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good poetry..lekin ye kisk bare me likha hai aapne.kahan se itni inspiration mili apko.
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