जिस्म जुदा होते हैं, रूह नहीं ।
क्या हुआ जो आप हमसे रू-ब-रू नहीं ।।
आपकी यादें ताउम्र दिल में महकती रहेंगी ।
पल में उड़ जाए, ये वो खुशबू नहीं ।।
साथ रहकर भी रह गयी दूरियां ।
कुछ तो कमी हमारी मोहब्बत में रही ।।
दिल के जख्म बहुत गहरे लगे हैं।
अब किसी हाल में होंगे ये रफू नहीं ।।
तुम्हें मिल जाए, जिसकी चाहत है तुम्हें ।
हाथ उठाकर खुदा से अब बस दुआ है यही ।।
तेरी याद में अब बहुत रो चुका हूं मैं ।
तुझे पाने की दिल में अब कोई चाहत न रही ।।
भारत मल्होत्रा
सोमवार, 23 मार्च 2009
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बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
बहुत सुन्दर अभिव्यक्तियाँ...बधाई !!
जवाब देंहटाएं______________________________
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