चिट्ठाजगत www.blogvani.com

गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

उनके अहसान...

उनके अहसान भला हम कैसे भूल पाएंगे
उनके हर करम हमें याद आएंगे
हमें चलने का सलीका न था, उनके बगैर
अब कैसे कह दें कि हम मंजिल तक पहुंच पाएंगे

ना जाने लोग क्‍यों उन्‍हें बेवफा कहते हैं
उनके यूं चले जाने को दगा कहते हैं
हम आज भी उन्‍हें अपनी मोहब्‍बत का खुदा कहते हैं
उनकी यादों का अपने दिल में इक बुत बनाएंगें
उनके अहसान भला हम कैसे भूल पाएंगे...

ठोकरों में होते हम जो मिलता न उनका साथ
गिर गए होते अंधियारों में कहीं, जो थामते न वो हाथ
हम खुदगर्ज थे जो समझ न पाए उनके दिल की बात
पर, अब उनकी हंसी के लिए जमाने से लड़ जाएंगें
उनके अहसान भला हम कैसे भूल पाएंगे...

अपना गम भूलकर वो मुस्‍कुराते रहे
आंसू छुपाकर अपने, हमें हंसाते रहे
दिल दुखाकर अपना, दिल हमारा बहलाते रहे
उनकी खुशी के लिए अब हम जान अपनी लुटाएंगे
उनके अहसान भला हम कैसे भूल पाएंगे....

अब जब वो तलाशने लगे हैं अपनी खुशी
क्‍यों उठे दर्द दिल में, आंखों में क्‍यूं आए नमी
क्‍यूं कदम लड़खड़ाए, क्‍यूं सांस है थमी
बढ़ने दो आगे उन्‍हें, हम संभल ही जाएंगे
उनके अहसान भला हम कैसे भूल पाएंगे...

भारत मल्‍होत्रा

3 टिप्‍पणियां:

  1. bahut behter he. lekin agar aap vakai unse pyar krte he to unke pyar ya dost ko ehsan ka namedekrkhatamkyu krna chahte he.ehsan kah dene se bat or kurbanikamol khatam ho jata he. to kya aap unki dosti ka mol chukana chahte he.....

    जवाब देंहटाएं
  2. आपने टिप्‍पणी देने का समय निकाला इसके लिए बहुत शुक्रिया। लेकिन, मैं अहसान का नाम देकर उनके व्‍यवहार का न मैं तो शुक्रिया अदा कर रहा हूं और न ही इस रिश्‍ते का ख
    त्‍म ही कर रहा हूं। आज मैं जो कुछ भी हूं और जिस भी मुकाम पर हूं उसके पीछे उनका साथ ही है।

    जवाब देंहटाएं
  3. और जो भी हो .. भावाभिव्‍यक्ति सुंदर हुई है .. बधाई।

    जवाब देंहटाएं