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शनिवार, 30 मई 2009

आपकी याद...

हर रोज आपको भूल जाने की कसम खाते हैं,
रोज अपनी ही कसम भूल जाते हैं।
कैसे भला आपकी याद दिल से निकाले हम,
आप रोज ख्‍वाब में आकर जो हमें मिल जाते हैं।।

तन्‍हा ये जिंदगी का सफर होगा,
न कोई साथी, न हमसफर होगा।
क्‍या गुजरता है राह में खुदा जाने,
मुश्किल मगर जिंदगी का हर कदम होगा।।

रोज नए गम दे जाती हैं यादें,
अकेलेपन में सताती हैं यादें।
हम हंसना भी चाहें तो रूलाती हैं यादें,
हम रो पड़ें तो हंसाती हैं यादें।।

गम मेरे दिल में जख्‍म दिए जाते हैं,
हम उन्‍हें अपने आसूंओं से सिए जाते हैं।
आप चाहें न देंखें हमारी ओर पलटकर कभी,
हम आपका नाम लिए जीए जाते हैं।।

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