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बुधवार, 12 अगस्त 2009

फ़लसफा जिंदगी का बदलने लगा है...

फ़लसफा जिंदगी का अब बदलने लगा है,
अपना कहने से किसी को दिल डरने लगा है।
मोड़ आते ही बदल जाते हैं रास्‍ते,
हर शख्‍स यहां मौसम की तरह बदलने लगा है।

हमने अरमानों को लुटते देखा है,
दुनिया को अपनी उजड़ते देखा है।
किसी को दिल में बसाने से अब दिल डरने लगा है,
फ़लसफा जिंदगी का अब बदलने लगा है।

हक़ीकत की मार से टूट गए हैं सपने,
हज़ारों की भीड़ में भी दिखते नहीं अपने।
घरौंदा अपना अब बिखरने लगा है,
फ़लसफा जिंदगी का अब बदलने लगा है।

चलो दूर कहीं एक बस्‍ती बसाई जाए,
सपनों की इक नई महफि़ल सजाई जाए।
इस शहर में अब दम घुटने लगा है,
फ़लसफा जिंदगी का बदलने लगा है।

भारत मल्‍होत्रा

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