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सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

मुझे मंजिल का रास्‍ता‍ मिल गया

तुम आए तो जिंदगी को तराना मिल गया
दिल को मेरे खुशियों का खजाना मिल गया।

बहारें रूठी हुई थी मेरी गलियों ने न जाने क्‍यों
आने से तुम्‍हारे, फिजा का हर एक गुल खिल गया।

हम आंसूओं में गुजार रहे थे जीवन अपना
तेरे आने से मुस्‍कुराने का बहाना मिल गया।

दूर तक जहां अंधेरा ही अंधेरा नजर आता था हमें
तेरे आने से मेरे जीवन का जर्रा-जर्रा खिल गया।

यूं ही बेकमसद बेवजह चले जा रहे थे हम
तुम आए तो, हमें मंजिल का रास्‍ता मिल गया।

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