अपनों के नश्तरों का घायल हूं मैं
लोग कहते हैं दीवाना पागल हूं मैं
यह जमाना और उम्मीदे वफा
यारों, माफ करना मुझे थोड़ा पागल हूं मैं
तन्हां हो गया हूं दुनिया की भीड़ में
कुछ ज्यादा ही साफगोई का कायल हूं मैं
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कुछ बातें... मेरे दिल की, मेरी कलम से आपके सामने। बहुत अच्छी भले ही न हों और भले ही यह बातें आपके दिल तक न पहुंच पाएं, लेकिन प्रयास यही है कि दिल की बातें ईमानदारी और साफगोही से कह सकूं।
बहुत खूबसूरत भाव
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