हम खुद ही अपने गुनहगार हो गये।
प्यार और भरोसे में गिरफ्तार हो गये।।
अब किससे कहें हाल-ए-दिल अपना।
जब गैर अपने सब यार हो गये ।।
हम दोस्ती का दम भरते नहीं थकते थे ।
और अब हम दोस्तों की नजरों में गुनहगार हो गये ।।
हक है हर किसी को अपनी जिंदगी जीने का ।
क्या हुआ वो जो वो किसी और के हमनवां हो गये ।।
इतनी दीवागनी तो मेरे लिये कभी न थी
मेरी मैय्यत पर आने को लोग बेकरार हो गये।।
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वाह आख़री शेर के भाव बहुत पसंद आये
जवाब देंहटाएंदिल खुश हो गया