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बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

सोशल मीडिया से डरती सरकारें

फरवरी के पहले दिन ही खबर आयी कि मिस्र में इंटरनेट का आखिरी लिंक भी बंद कर दिया गया. यानी दुनिया की सबसे पुरानी सभ्‍यताओं में से एक में शामिल यह मुल्‍क तकनीक के सबसे ताकतवर 'हथियार' से, भले ही कुछ दिन के लिए सही लेकिन महरूम हो गया. यहां सवाल इंटरनेट को बंद करने भर का नहीं है, बल्कि यहां मुद्दा सोशल मीडिया की बढ़ती ताकत का है. ताकत, जिससे दुनिया की कई सरकारें अब डरने लगी हैं. और रह-रहकर इसकी आवाज को नियंत्रण में करने की कोशिशें करती हैं. साइबर मीडिया के जानकार बताते हैं कि सरकारें सोशल मीडिया को दबाने के काम में लग गयी हैं. यह बहुत गलत संकेत है. इस बीच इस बात की भी आवाज उठने लगी है कि क्‍या इंटरनेट को लोगों के मौलिक अधिकारों में शामिल किया जाना चाहिए. क्‍योंकि यह भी तो अभिव्‍यक्ति का एक मंच ही है.

मिस्र में लगा इंटरनेट पर बैन

मिस्र में चल रहे संघर्ष के दौरान वहां की सरकार ने इंटरनेट पर बैन लगा दिया है. दरअसल, सरकार सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर चल रहे आंदोलन से सहमी हुयी थी. इसी के चलते उसने इसे रोकने का फैसला‍ किया. राष्‍ट्रपति हुस्‍नी मुबारक के तीस सालों से चले रहे निरंकुश शासन के खिलाफ लोगों ने जमकर सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल किया. नतीजतन सरकार ने देश में इंटरनेट के इस्‍तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया.

ईरान से उठी थी आवाज

सोशल मीडिया की राजनीतिक ताकत का आभास साल 2009 में ईरान में दिखायी दिया. उस समय आंदोलनकारियोंण्‍ ने ट्विटर का इस्‍तेमाल एक-दूसरे से संपर्क साधने के लिए किया. इसके साथ ही वे इसी के जरिए सूचनाओं का आदान-प्रदान भी करते रहे. जानकारों की राय में अरब देशों में लोकतंत्र की भावनाओं को बढ़ावा देने में उस आंदोलन का बहुत बड़ा हाथ रहा. ट्विटर और फेसबुक ने लोकतंत्र की चाह में धधक रही उन शोलों को हवा देने का काम किया.

ताकत थमाता सोशल मीडिया

दरअसल, साइबर जगत ने लोगों के हाथों में वो शस्‍त्र थमा दिया है, जिसके मार्फत वो चंद ही पलों में सारी दुनिया तक अपनी पहुंच बना सकते हैं. अब उन्‍हें अपनी बात पहुंचाने के‍ लिए पर्चे नहीं बांटने पड़ते बस एक मैसेज फ्लैश करने की जरूरत भर है, और पल भर में ही सारी दुनिया उस से रू-ब-रू हो रही होती है. यह सोशल मीडिया की ताकत है. लोगों की आवाज़ को साथ मिल रहा है. दुनिया भर के लोग मिस्र के लोगों के साथ जुट रहे हैं. भले ही वर्चुअल मीडिया में ही क्‍यों न हों.

अल जजीरा ने मांगी सोशल मीडिया से मदद

मिस्र में अरबी चैनल 'अल जजीरा' ने भी सोशल मीडिया से मदद की गुहार की. अल जजीरा ने इंटरनेट के जरिए लोगों से प्रदर्शनों के वीडियो इकट्ठा करने के लिए कहा. कतर स्थित न्यूज चैनल अल जजीरा ने एक बयान में कहा गया कि प्रत्यक्षदर्शी अपने ब्लॉग द्वारा उन्हें तस्वीरें भेजें और आंखों देखा हाल बयान करें.

मिस्र की आंच चीन भी पहुंची

मिस्र और अरब देशों में लगी आग की तपिश सुदूर चीन तक भी पहुंच गयी है. चीन ने इंटरनेट से 'इजिप्‍ट' शब्‍द हटा दिया है. माना जा रहा है कि चीन नहीं चाहता कि लोगों को मिस्र से किसी भी तरह की प्रेरणा‍ मिले. चीन में आप सर्च इंजन पर 'इजिप्‍ट' शब्‍द भी नहीं खोज पाएंगे. यह प्रतिबंध शनिवार (30 जनवरी) से लागू किया गया है. सर्च इंजन में यह शब्‍द तलाशने पर यह संदेश आता है- ' कानूनी प्रतिबंध के कारण आपको इसका नतीजा नहीं बताया जा सकता.' चीन में तो फेसबुक और यूट्यूब यादि साइट पहले से ही बंद हैं, उसे खतरा है कि वहां इसका इस्तेमाल उसके खिलाफ हो सकता है.

रूप बदलता सोशल मीडिया

इस माध्‍यम की शुरुआत भले ही दोस्‍तों और परिचितों से संपर्क में रहने की उद्देश्‍य से की गयी हो, लेकिन आज यह एक बिल्‍कुल ही नया रूप ले चुका है. अब महज दोस्‍तों से चैट और 'हाय-हैलो' से आगे जाकर यह जन अभिव्‍यक्ति का एक सशक्‍त मंच बन चुका है. यहां चर्चाएं होती हैं. सामाजिक और राजनीतिक बहस होती है. एक जन आंदोलन चलाया जाता है. अपने आंदोलन में नए लोगों को शामिल किया जाता है. और वह आवाज़ जो शायद कभी कोई सुन भी नहीं पाता हो, वह सारी दुनिया सुनती है.

ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब से लेकर फोन ने लोगों के हाथ में एक ऐसी ताकत दे दी जिसके मार्फत वे अपना विरोध दर्ज करा सकें. सभी सोशल नेटवर्किंग साइट मिस्र में आंदोलन के समर्थन में आवाज उठा रहे हैं.
गूगल और ट्विटर ने दी आवाज़

गूगल ने ट्विटर के साथ मिलकर एक नयी तकनीक ईजाद की है. इसके जरिए मिस्रवासी बिना इंटरनेट कनैक्‍शन के वाइस मेल के जरिए अपने संदेश इंटरनेट पर पोस्‍ट कर पाएंगे. इस तकनीक में यूजर अपना संदेश रिकॉर्ड करवाकर, वाइस मेल में बदल कर #egypt पर पोस्‍ट किया जाएगा. इसके लिए +16504194196, +390662207294, +97316199855 पर फोन करना होगा. इन्‍हीं नंबरों पर फोन करके इन संदेशों को सुना भी जा सकेगा. इंटरनेट कनैक्‍शन वाले लोग twitter.com/speak2tweet पर जाकर इन संदेशों को सुन भी सकते हैं.

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