किसी भी क्षेत्र में एक 'हीरो' की दरकार होती है. एक ऐसी शख्यिसत जो लोगों के लिए पैमाना तय करे. एक ऐसा चुंबकीय व्यक्तित्व जो उस क्षेत्र की ओर लोगों को खींचने की ताकत रखता हो. और, उसमें पहले से मौजूद शख्सों के लिए प्रेरणास्रोत का काम भी करे. भारतीय क्रिकेट के लगभग 80 साल के सफर की सबसे यादगार तस्वीर की बात की जाए, तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में लॉर्ड्स की बालकनी में वर्ल्ड कप थामे कपिल देव की तस्वीर ही चस्पां होगी. उस एक तस्वीर ने इस मुल्क में क्रिकेट दीवानगी को एक नया शिखर दिया. उस एक तस्वीर ने भारत में क्रिकेट को महज एक खेल से आगे धर्म की राह दी. उस एक तस्वीर ने भारत को 'सचिन तेंदुलकर' दिया. और उस तेंदुलकर को एक सपना दिया. उस तस्वीर को दोहराने का सपना. और उस तेंदुलकर ने ना जाने कितने हिन्दुस्तानियों के दिल में गेंद और बल्ले के इस खेल के लिए दीवानगी का बीज बोया. तो अगर क्रिकेट अन्य खेलों को हाशिए पर धकेल कर हिन्दुस्तान में खेलों का बादशाह बना हुआ है, तो कहीं न कहीं इसकी शुरुआत 25 जून 1983 के उस लम्हे से हुयी. तो क्या नीदरलैंड्स के रेयान डेसचेट (उम्मीद है कि मैं उनका नाम ठीक लिख रहा हूं) इसी राह पर चल रहे हैं.
कई लोग इसे बहुत जल्दबाजी मान रहे होंगे. उनकी राय में सफर अभी बहुत लंबा है, तो इसके जवाब में मैं एक चीनी कहावत दोहराना चाहूंगा - लंबे से लंबे सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है. हालांकि, इससे पहले भी एसोसिएटेड देशों से आए कुछ खिलाड़ी समय-समय पर अपनी मौजूदगी का अहसास कराते आए हैं, लेकिन अपनी कामयाबी के पौधे के दरख्त बनने से पहले ही वे कहीं गुम हो गए. डेसचेट को खुद को इससे बचाना होगा. खैर, उनके कदम अभी तक जमीन पर हैं, इस बात का इशारा उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ खत्म हुए मैच के बाद दिया जब उन्होंने कहा, 'बतौर टीम हम अपने प्रदर्शन से खुश हैं. निजी तौर पर मेरा कोई लक्ष्य नहीं है, हां टीम के रूप में हम अपनी पहचान दर्ज कराना चाहते हैं.' इससे पहले भी अपनी उपलब्धियों के बारे में उनका कहना था कि अभी तक उन्होंने जो शतक लगाए हैं वे सब बड़ी टीमें नहीं हैं, लेकिन उनके भीतर इस चीज का मान नहीं दिखा कि वे खुद भी ऐसी ही एक टीम का हिस्सा हैं.
उनका नाम अभी कल तक बहुत कम लोगों ने सुना होगा. लेकिन, जिस राह पर वे चल रहे हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि बहुत जल्दी इनका नाम काफी सुना जाएगा. दक्षिण अफ्रीका में पैदा हुए डेसचेट ससेक्स नीदरलैंड्स एक ऐसा देश, जहां खेलों में सबसे बड़ा धर्म है फुटबॉल. तीन बार फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंच चुका है नीदरलैंड्स. हॉकी में भी इस देश की अपनी अलग पहचान है. दो बार ओलंपिक गोल्ड के अलावा इस देश के खाते में पदकों की संख्या है कुल 15. यहां से निकले बल्ले की आवाज अंतरराष्ट्रीय मंच पर बहुत कम सुनी जाती है. यहां से एक शख्स हाथ में बल्ला लेकर निकलता है और बहुत जल्द उसकी टंकार दुनिया सुनती है, तो इसे एक शुभ संकेत ही माना जाए.
इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड की गेंद पर गए ओवरथ्रो की मदद से उनका शतक पूरा हुआ. और शायद वे विश्व कप में 'पांच रनों' की मदद से सैकड़े में दाखिल होने वाले पहले शख्स बने हों. उनके चेहरे पर आत्मसंतोष और खुशी के मिलेजुले भावों को साफ पढ़ा जा सकता था. यह बड़ी टीमों को एक संदेश है कि 'हमें दरकिनार नहीं किया जा सकता और अगर आपने हमें हल्के में लिया, तो शायद आपको पछताना भी पड़ सकता है.' भले ही देर से ही हमारी आवाज दुनिया सुनेगी.
मौजूदा समय में क्रिकेट खेल रहे सभी अंतरराष्ट्रीय खिलाडि़यों में सबसे ज्यादा औसत डेसचेट का ही है. 28 वनडे मैचों में 71.23 का बल्लेबाजी औसत उनकी क्षमता की एक बानगी भर है. इसके साथ ही उनके बल्ले से निकले चार शतक और आठ अर्द्धशतक यह दिखाते हैं कि इस खिलाड़ी में निरंतरता भी है. सिर्फ बल्ले से ही नहीं, गेंद से भी कमाल दिखाने की कुव्वत रखते हैं डेसचेट. अपने देश के लिए वनडे मुकाबलों में 50 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज भी हैं. उनकी इन्हीं खूबियों के कारण उन्हें आईसीसी के एसोसिएटेड क्रिकेट ऑफ 2010 के खिताब से नवाजा गया. अपने खेल के दम पर वे बेशक किसी भी अंतरराष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बना सकते हैं.
लेकिन, अब उनकी प्रतिभा को एक बड़ा मंच मिल गया है. वर्ल्ड कप के बाद वे आईपीएल के चौथे सीजन में जलवा बिखेरते नजर आएंगे. डेसचेट को कोलकाता नाइटराइडर्स ने 1लाख 50 हजार डॉलर में खरीदा है. यह उनके और नीदरलैंड्स क्रिकेट के लिए एक शुभ संकेत है. और शायद इसके बाद हॉकी और फुटबॉल यह मुल्क क्रिकेट में भी अपनी मौजूदगी बेहतर तरीके से दर्ज करा सके.
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