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मंगलवार, 17 जनवरी 2012

बस दो बातें...

वो सोच रहा था कि उससे जब भी मुलाकात होगी वो बस दो ही शब्‍द बोलेगा. थैंक्‍यू और सॉरी. इसके पीछे कारणों की एक लंबी फेरहिस्‍त भी बना ली थी उसने. थैंक्‍यू - मेरी जिंदगी में आने के लिए. थैंक्‍यू मेरी जिंदगी को हसीं बनाने के लिए. थैक्‍यू मेर‍ी जिंदगी को एक मकसद देने के लिए. थैंक्‍यू मुझे जिंदगी से मिलाने के लिए. जिंदगी से मेरा तार्रुफ कराने के लिए थैंक्‍यू. और सॉरी... सॉरी उन सब वजहों के लिए जिनकी वजह से हमारी जिंदगी एक न हो सकी. लेकिन अभी भी जारी थी उसकी प्रतीक्षा. और रात घनी और घनी होती जा रही थी....

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