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मंगलवार, 17 जुलाई 2012

जज्‍़बात

वाइज ने तब से मेरा नाम काफिरों में लिख दिया
हम जब से तुझे ख़ुदा बनाकर पूजते हैं।। 


उसके शहर में वफ़ा की उम्‍मीद
बड़े नादान हैं आप ये क्‍या ढूंढते हैं।। 


क्‍या अपने परायों में फर्क कीजिएगा
सभी तो हाथ में खंजर लिए घूमते हैं।। 


कभी मंदिर, कभी मस्जिद, कभी गिरजा में ढूंढते हैं
जो बैठा है अंदर उसे कहां-कहां ढूंढते हैं।।

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