वो जाते हुए छोड़ गया हथेली पर मेरी आंसू
उम्र गुजारने को यह बरसात ही काफी है
लोग इसे कहते हैं फरेब तो कहते रहें
अपने लिए वस्ल की बस वो एक रात ही काफी है
सियासत ने मुल्क को पहले भी तकसीम किया
बस अब छोड़ दो इसे, तुम्हारी इतनी करामात ही काफी है
गफलत भी कई बार दिल को सकूं देती है 'भानू'
मैं जिंदा नहीं हूं, पर सीने कुछ धड़कनें अभी बाकी हैं
उम्र गुजारने को यह बरसात ही काफी है
लोग इसे कहते हैं फरेब तो कहते रहें
अपने लिए वस्ल की बस वो एक रात ही काफी है
सियासत ने मुल्क को पहले भी तकसीम किया
बस अब छोड़ दो इसे, तुम्हारी इतनी करामात ही काफी है
गफलत भी कई बार दिल को सकूं देती है 'भानू'
मैं जिंदा नहीं हूं, पर सीने कुछ धड़कनें अभी बाकी हैं
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