साल 2000-2001 की बात है। स्टीव वॉ की अगुवाई वाली ऑस्ट्रेलिया टीम भारत दौरे पर थी। लगातार 15 टेस्ट जीतकर विजयी रथ पर सवार। आत्मविश्वास से लबरेज। एक से बढ़कर एक सितारे। जीतना उस टीम की आदत बन गयी थी। हार... ये शब्द तो जैसे उसके शब्दकोश में था ही नहीं। मुंबई में हुए पहले टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया ने अपने विश्व-विजेता होने का अहसास कराने में सिर्फ तीन दिन का वक्त लिया। कंगारू टीम ने पांच दिनों के मैच को तीसरे ही दिन 10 विकेट से जीतकर बता दिया कि क्यों उसकी गिनती क्रिकेट की सर्वकालिक महान टीमों में होती है। सागर किनारे मुंबई से दोनों टीम 'सिटी ऑफ जॉय' कोलकाता पहुंची। हुबली के किनारे 'क्रिकेट का मक्का' के भारतीय संस्करण ईडन गार्डंस पर ताजा मुकाबले को तैयार। इस बार भारतीय टीम महज 171 रनों पर सिमट गयी और ऑस्ट्रेलिया ने 349 रन बनाकर मुंबई की कहानी कोलकाता में दोहराए जाने का इशारा दे दिया। दूसरी पारी में भी भारतीय टीम तीन विकेट पर 113 रन बनाकर मुश्किल हालात में थी।
लेकिन... यहीं से कहानी बदलती है। टीम को संकट से पार निकालने का जिम्मा आता है। वेंगीपुरप्पू वेंकट साईं लक्ष्मण के कंधों पर। और लक्ष्मण, लक्ष्य साधने को पूरी तरह तैयार नजर आते हैं। उन्हें साथ मिलता है भारतीय क्रिकेट के 'श्रीमान भरोसेमंद' राहुल द्रविड़ का। दोनों मिलकर अकल्पनीय को वास्तविकता में बदलने में जुट जाते हैं। लक्ष्मण रेखा को लांघना कंगारुओं के लिए एक बार फिर चुनौती बन जाता है। जीत और ऑस्ट्रेलिया के बीच लक्ष्मण यूं डट गए जिससे स्टीव वॉ की विश्व विजयी सेना भी पार नहीं पा सकी। अपनी 281 रनों की पारी में लक्ष्मण सुनील गावस्कर के 236 रनों के किसी भारतीय द्वारा बनाए गए उच्चतम व्यक्तिगत स्कोर से भी आगे निकल जाते हैं। द्रविड़ के साथ 376 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी करते हैं। और शेन वॉर्न को स्पिन के विरुद्ध क्लासिक शॉट खेलकर अपनी कलात्मकता का परिचय देते हैं। यह सीरीज लक्ष्मण को वेंकट साईं लक्ष्मण से वैरी वैरी स्पेशल (वीवीएस) लक्ष्मण बनाती है। उनकी यह पारी विजडन की सदी की सर्वश्रेष्ठ 10 निजी पारियों में छठे पायदान पर रहती है।
इस पूरी सीरीज में लक्ष्मण लगभग 84 की औसत से 503 रन बनाते हैं। इस सीरीज में उन्होंने 85 चौके जड़े, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किसी भी बल्लेबाज का 3 मैचों की सीरीज में रिकॉर्ड है।
यूं तो लक्ष्मण ने लगभग सभी टीमों के खिलाफ कई बेहतरीन पारियां खेलीं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के प्रति उनका 'प्रेम' जरा हटकर था। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके करियर के पांच निजी उच्चतम स्कोर में से चार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बने हैं।
लक्ष्मण भारत टीम के मध्यक्रम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। टीम इंडिया के फैब फोर में शामिल लक्ष्मण सही मायनों भद्रजनों के इस खेल को पूरी शिद्दत के साथ खेले। डॉक्टर माता-पिता की संतान लक्ष्मण मैदान के भीतर और बाहर सभ्य और सौम्य बने रहे। न किसी तरह के विवाद में उनका नाम जुड़ा और न ही वह किसी के साथ उलझते नजर आए।
लक्ष्मण खेल भी उनके स्वभाव की ही तरह शालीन बना रहा। नैगर्सिक और क्रिकेट की पुरातन परंपरा से करीब। गेंद को कलाइयों के सहारे ही सीमा-रेखा के पार पहुंचाया लक्ष्मण के खेल की यूएसपी रही। इस मायने में वे अपने गृह नगर हैदराबाद के ही एक और कलात्मक बल्लेबाज मोहम्मद अजहरुद्दीन के करीब नजर आते हैं। और कइयों की नजर में उनसे आगे भी। कलाइयों के सहारे गेंद को ऑन साइड पर खेलना हो या फिर ऑफ साइड पर, लक्ष्मण दोनों में दक्ष थे। उनका कदमों का इस्तेमाल कर शेन वॉर्न को स्पिन के विरुद्ध खेलते देखना वाकई यादगार रहा।
हाल ही में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया सीरीज में टीम इंडिया का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। लगातार आठ टेस्ट मैचों हार के बाद टीम के वरिष्ठ खिलाडि़यों को निशाना बनाया जाने लगा। जब राहुल द्रविड़ के क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद लक्ष्मण ने अपने संन्यास की अटकलों को यह कहते हुए विराम लगा दिया था कि फिलहाल वह ऐसा नहीं सोच रहे हैं। लेकिन, आखिर ऐसा क्या हुआ कि अगली ही टेस्ट सीरीज के शुरू होने से पहले ही लक्ष्मण्ा ने अपने दस्ताने टांगने की घोषणा कर दी। बताते हैं कि लक्ष्मण खुद पर युवा खिलाडिय़ों का रास्ता रोकने के आरोपों से आहत थे।
लक्ष्मण के संन्यास की यह खबर हर उस क्रिकेट प्रेमी को आहत करेगी जो क्रिकेट को उसके नैसर्गिक रूप में देखना पसंद करते हैं। जो क्रिकेट को आज भी भद्रजनों का खेल मानते हैं।
लक्ष्मण का टेस्ट रिकॉर्ड
मैच - 134
पारी - 225
रन - 8781
औसत - 45.97
उच्चतम - 281
शतक - 17
अर्द्धशतक- 56
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