या ख़ुदा, तेरी ये करामात भी हमने देखी है।
रात में दिन और दिन में रात हमने देखी है।
डूबतों को पार उतरते हमने देखा है।
साहिल पर डूबती नाव हमने देखी है।
तेरे ग़म पर मुस्कारते लोग कई मिल जाएंगे
मरहम लगाने वालों की औकात हमने देखी है।
शिकवे और शिकायतों का वो दौर नहीं रहा
पल में बदलती बशर की निगाह हमने देखी है।
जिंदगी कट जाएगी बस इस खयाल में अपनी
उनके आंखों में अपनी इक रात हमने देखी है।
शबे-फुर्सत जब जो कभी याद आ गए वो 'भानू'
अपनी आंखों से बेरोक बरसात हमने देखी है।
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