चॉंद को देखकर दिल मचलने लगा
तेरा चेहरा निगाहों में ढलने लगा।
तेरी यादें दिल में उतरने लगीं
तेरा ग़म ऑंखों से पिघलने लगा।
जि़क्र तेरा छिड़ा हुआ ये असर
फ़ूल सहरा में जैसे कोई खिलने लगा।
तेरा पैग़ाम लाती है बाद-ए-सबा
तेरी मुस्कान जैसे है कोई दुआ।
मेरे घर में जब तेरा साया पड़ा
घर मेरा ज्यूं कोई मंदिर हुआ।
तेरी नज़रों में जब मैं डूबा कभी
न उतरे कभी वो नशा सा हुआ।
चांद को देखकर दिल मचलने लगा
तेरा चेहरा निगाहों में ढलने लगा...
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