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सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

थाम ले डोर जीवन की


जीवन की रफ़्तार को थाम सका न कोए
आज जो तेरा है बंधु, कल दूजे का होए।। 
कल दूजे का होए, करे काहे को चिंता
चिंता चिता समान है, कह गए साधू-संता।। 

तेरे हाथ में जो है तू उसकी ले ले मौज
खुशी तेरे भीतर है, बाहर न उसको खोज।। 
बाहर न उसको खोज, सुन ले बात है प्‍यारी
आज ही से कर ले तू अपनी तैयारी।। 

छोड़-छाड़ के फिक्र ये फाका, काम कर ले भाई
घड़ी जो बीते एक बार, वो लौट के फिर न आई।।
लौट के फिर न आई, बात ये सोलह आने सच्‍ची
कामयाबी तेरी होगी, गर नीयत है तेरी सच्‍ची।

मेहनत और नीयत से नियत और नियति बदले
दुश्‍मन भी अपने हो जाएं, गर हो प्रीति मन में।।
सोलह आने की एक है सीधी सच्‍ची बात
दिन जरूर आता है, चाहे जितनी काली हो रात।।

भारत मल्‍होत्रा

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